Saturday, September 6, 2008
Dekho...!!
किसी के मरने पर, किसी के आंसूओ को तो देखो,
वो जो दर्द का एहसास है, उस तूफ़ान को तो देखो !
देखो किसी का अपना कोई चुप सा हो गया है,
कोई तो समझो इसे, इस धुन्दले एहसास को तो देखो !
क्यों हमे इंतज़ार है किसी के खो जाने का,
वक़्त रहते सच्चाई से नज़र मिला कर देखो !
वो था कोई, एक इंसान था, शायद वो बुरा भी होगा,
जाने से पहले उसे वापस बुला कर तो देखो !
उसके सामान बाद में टटोलोगे तुम लोग,
आज एक बार उसके रुमाल में लगे पसीने को तो देखो !
रिश्तों को खो कर हंसते हो, खुद को मज़बूत समझते हो,
एक बार खुद को खो कर भी, रिश्ते निभा कर तो देखो !
जो धोके में जी रहा है, जो जूठ में सो रहा है,
कभी अपने अन्दर उस इंसान जो जगह कर तो देखो !
जिसे बैर कह रहे हो, वो तुम्हारी तरहां ही है,
कभी अपने क़दमों के निशाँ मिला कर तो देखो !
किसी के मरने पर, किसी के आंसूओ को तो देखो....
(written by Amit Sethi on 14th August'08)
वो जो दर्द का एहसास है, उस तूफ़ान को तो देखो !
देखो किसी का अपना कोई चुप सा हो गया है,
कोई तो समझो इसे, इस धुन्दले एहसास को तो देखो !
क्यों हमे इंतज़ार है किसी के खो जाने का,
वक़्त रहते सच्चाई से नज़र मिला कर देखो !
वो था कोई, एक इंसान था, शायद वो बुरा भी होगा,
जाने से पहले उसे वापस बुला कर तो देखो !
उसके सामान बाद में टटोलोगे तुम लोग,
आज एक बार उसके रुमाल में लगे पसीने को तो देखो !
रिश्तों को खो कर हंसते हो, खुद को मज़बूत समझते हो,
एक बार खुद को खो कर भी, रिश्ते निभा कर तो देखो !
जो धोके में जी रहा है, जो जूठ में सो रहा है,
कभी अपने अन्दर उस इंसान जो जगह कर तो देखो !
जिसे बैर कह रहे हो, वो तुम्हारी तरहां ही है,
कभी अपने क़दमों के निशाँ मिला कर तो देखो !
किसी के मरने पर, किसी के आंसूओ को तो देखो....
(written by Amit Sethi on 14th August'08)
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